JNU में इंग्लिश के प्रोफेसर और कवि मकरंद परांजपे ने देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे कन्हैया कुमार की स्पीच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्टूडेंट यूनियन के लीडर से सवाल किया है कि क्या उन्होंने स्पीच में शामिल फैक्ट्स की जांच की थी। बता दें कि कन्हैया ने 9 फरवरी को JNU कैंपस में दी स्पीच में गोलवलकर और मुसोलिनी के बीच मुलाकात होने की बात कही थी। प्रोफेसर ने बताए कन्हैया की स्पीच के गलत फैक्ट्स...
- परांजपे के मुताबिक फैक्ट यह है कि मुसोलिनी से गोलवलकर ने नहीं बल्कि हिंदू महासभा के नेता मुंजे ने मुलाकात की थी।
- "मुसोलिनी फासीवाद के सपोर्ट में, डेमोक्रेसी के खिलाफ था और स्टालिनवाद भी।"
- "मुसोलिनी फासीवाद के सपोर्ट में, डेमोक्रेसी के खिलाफ था और स्टालिनवाद भी।"
- परांजपे ने सोमवार को स्टूडेंट्स को एड्रेस करते हुए कहा, "मैं ऐसे देश का नागरिक होने में गर्व महसूस करता हूं, जहां एक सो-कॉल्ड ज्युडिशियल मर्डर ने हंगामा खड़ा कर दिया।"
- "मुसोलिनी और स्टालिन दोनों डेमोक्रेसी के खिलाफ थे। इसका मतलब यह नहीं है कि मुंजे फासीवाद को सपोर्ट करते थे। इसके लिए हमें फैक्ट्स की जांच करनी होगी।"
माओवादी आर्म्ड रिवोल्यूशन में विश्वास करते हैं
- परांजपे जेएनयू में 9 फरवरी को ऑर्गनाइज किए गए प्रोग्राम और नारेबाजी को अफजल गुरु के नाम का बहाना लेकर की गई हरकत बता चुके हैं।
- उन्होंने पूछा कि क्यों माओवादी कुछ इंडियन स्टेट्स की लीगैलिटी को लेकर सवाल उठाते हैं। वे इसे एक्सेप्ट क्यों नहीं कर पा रहे हैं?
- "इंडियन सिविल वॉर में टैगोर, गांधी, जवाहरलाल सभी का योगदान है लेकिन इसमें लेफ्ट (वाम) क्या हाथ है?"
- "माओवादियों को भूल जाना चाहिए, क्योंकि वे आर्म्ड रिवोल्यूशन में विश्वास करते है।"- "DSU (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन) इसी माओवादी रिवोल्यूशनरी की एक ब्रांच है।"
- परांजपे ने DSU से उमर खालिद के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि उमर ने लिखा था कि 'देयर इज नो स्कोप फॉर डिसेंट, देयर इज नो डेमोक्रेसी।'
- परांजपे ने स्टूडेंट्स से सवाल करते हुए पूछा, "यहां चाइना और नॉर्थ कोरिया को लेकर सौहार्द भरे स्टेटमेंट क्यों नहीं दिए जाते?"
बेल पर रिहा होने के बाद भी दी थी कन्हैया ने स्पीच
- बता दें कि कोर्ट से बेल मिलने के बाद जेएनयू में कन्हैया का वेलकम किया गया था।
- जेल से लौटने के बाद कन्हैया ने कैंपस में स्पीच दी थी जिसमें उन्होंने कहा था, "हम भारत से नहीं भारत में आजादी चाहते हैं।"
- "पीएम मोदी ट्वीट करके ‘सत्यमेव जयते’ कहते हैं। तो हम भी ‘सत्यमेव जयते’ में भरोसा करते हैं।"
- कन्हैया ने स्मृति ईरानी पर भी हमला किया। उन्होंने कहा वे ईरानी के ‘चाइल्ड’ नहीं बल्कि ‘जेएनयूआईट’ हैं। उसने आगे भी नारेबाजी जारी रहने की बात कही।
- कन्हैया का कहना था कि स्टूडेंट जिन मुद्दों पर बात करते हैं, वे आम लोगों तक नहीं पहुंच पाते, इसके लिए जरूरी है कि आम लोगों की भाषा में बात की जाए।
- जेल से लौटने के बाद कन्हैया ने कैंपस में स्पीच दी थी जिसमें उन्होंने कहा था, "हम भारत से नहीं भारत में आजादी चाहते हैं।"
- "पीएम मोदी ट्वीट करके ‘सत्यमेव जयते’ कहते हैं। तो हम भी ‘सत्यमेव जयते’ में भरोसा करते हैं।"
- कन्हैया ने स्मृति ईरानी पर भी हमला किया। उन्होंने कहा वे ईरानी के ‘चाइल्ड’ नहीं बल्कि ‘जेएनयूआईट’ हैं। उसने आगे भी नारेबाजी जारी रहने की बात कही।
- कन्हैया का कहना था कि स्टूडेंट जिन मुद्दों पर बात करते हैं, वे आम लोगों तक नहीं पहुंच पाते, इसके लिए जरूरी है कि आम लोगों की भाषा में बात की जाए।
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